Friday, April 19, 2013

चारोळी


ए हवा न यु परेशान कर, संवारी हें जुल्फ़े युही ना उडाया कर,
बंद आंखो पे रोशनी से न वार कर येह सूरज तो हुमे यु नाराज न कर,
हम हें खफ़ा आपनेआप से, और इन्तेजार में उनकी आहाट के..
उस हात के जो ए चेहरे पे बिखरी जुल्फ सरायेगा,
साया बन धूप से छुपायेगा

जिसे ए दिल सरगमसा गुनगुनायेगा
और... उसकी एक मुस्कुरहाट  पर जिंदगी भर मार मिट जाएगा...
ए हवा न यु परेशान कर......

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