ए हवा न यु परेशान कर, संवारी हें जुल्फ़े युही ना उडाया कर,
बंद आंखो पे रोशनी से न वार कर येह सूरज तो हुमे यु नाराज न कर,
हम हें खफ़ा आपनेआप से, और इन्तेजार में उनकी आहाट के..बंद आंखो पे रोशनी से न वार कर येह सूरज तो हुमे यु नाराज न कर,
उस हात के जो ए चेहरे पे बिखरी जुल्फ सरायेगा,
साया बन धूप से छुपायेगा
जिसे ए दिल सरगमसा गुनगुनायेगा
और... उसकी एक मुस्कुरहाट पर जिंदगी भर मार मिट जाएगा...ए हवा न यु परेशान कर......
और... उसकी एक मुस्कुरहाट पर जिंदगी भर मार मिट जाएगा...ए हवा न यु परेशान कर......
No comments:
Post a Comment